
RPSC Gemini
राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC), जो राज्य की प्रमुख भर्ती एजेंसी है, आज विवादों के घेरे में है। इस पर भर्ती प्रक्रियाओं में गंभीर अनियमितताओं, मनमानेपन और पारदर्शिता की भारी कमी के आरोप लग रहे हैं। हजारों अकादमिक उम्मीदवारों के सपने प्रक्रियात्मक विसंगतियों के जाल में उलझे हुए हैं, जो विशेष रूप से 22 जून, 2023 को विज्ञापित सहायक आचार्य (कॉलेज शिक्षा) भर्ती में स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं । यह भर्ती 48 विषयों में 1913 पदों के लिए निकाली गई थी । आ
योग के कामकाज की गहन जांच से विवेकाधीन निर्णय लेने का एक ऐसा पैटर्न सामने आता है जो न केवल निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के सिद्धांतों को कमजोर करता है, बल्कि उम्मीदवारों को गंभीर मानसिक और व्यावसायिक कठिनाइयों में भी डालता है । भर्ती प्रक्रिया के आंकड़ों पर आधारित यह विस्तृत आलोचना उन प्रणालीगत खामियों को उजागर करती है जो राज्य की प्रशासनिक मशीनरी की नींव को खोखला कर रही हैं।
मनमाना चक्रव्यूह: साक्षात्कार के लिए बुलाए गए उम्मीदवारों के अनुपात में भारी विसंगति
RPSC की कार्यप्रणाली में सबसे बड़ी और स्पष्ट विसंगतियों में से एक विभिन्न विषयों के लिए साक्षात्कार हेतु बुलाए गए उम्मीदवारों के अनुपात में अत्यधिक भिन्नता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में एक सामान्य और व्यापक रूप से स्वीकृत मानदंड यह है कि उपलब्ध पदों की संख्या के लगभग तीन गुना उम्मीदवारों को साक्षात्कार के चरण के लिए बुलाया जाता है ।
यह अभ्यास एक प्रतिस्पर्धी समूह सुनिश्चित करता है और साथ ही प्रक्रिया को प्रबंधनीय सीमाओं के भीतर रखता है। हालांकि, सहायक आचार्य भर्ती के आंकड़े बताते हैं कि RPSC बिना किसी स्पष्ट तर्क या संगति के इस मानक से बहुत दूर चला गया है ।
यह असमानता एक तुलनात्मक विश्लेषण के माध्यम से सबसे अच्छी तरह से समझी जा सकती है। अपनी प्रमुख राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) परीक्षाओं के लिए, RPSC ने अपेक्षाकृत एक सुसंगत अनुपात बनाए रखा है।
RAS 2021 की 988 पदों की भर्ती में, 2174 उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था, जो प्रति पद 2.20 उम्मीदवारों का अनुपात था । इसी तरह, RAS 2023 परीक्षा के लिए, 905 पदों के लिए 2168 उम्मीदवारों को बुलाया गया, जो 2.39 के अनुपात में तब्दील होता है । ये आंकड़े एक मानक प्रदान करते हैं, जिसके सामने सहायक आचार्य भर्ती के अनुपात खतरनाक रूप से अनियमित दिखाई देते हैं।
गणित विषय के मामले पर विचार करें। केवल 53 उपलब्ध पदों के लिए, RPSC ने आश्चर्यजनक रूप से 653 उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया । यह
प्रति सीट 12.32 उम्मीदवारों का अनुपात है – जो पारंपरिक मानक से चार गुना से भी अधिक है । स्थिति
भौतिकी (Physics) में भी उतनी ही चौंकाने वाली है, जहां 60 पदों के लिए 604 उम्मीदवारों को बुलाया गया, जिसके परिणामस्वरूप प्रति सीट 10.06 का अनुपात बना ।
जब इन आंकड़ों की तुलना उसी भर्ती अभियान के अन्य विषयों से की जाती है तो विसंगतियां और भी स्पष्ट हो जाती हैं:
- राजनीति विज्ञान (Political Science): 181 पदों के लिए 1501 उम्मीदवारों को बुलाया गया, जो प्रति सीट 8.29 का अत्यधिक उच्च अनुपात है ।
- हिंदी (Hindi): 214 पदों के लिए 1612 उम्मीदवारों को बुलाया गया, जिसके परिणामस्वरूप प्रति सीट 7.53 का अनुपात बना ।
- उर्दू (Urdu): 24 पदों के लिए 123 उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया गया, जो प्रति सीट 5.12 का अनुपात था ।
इसके ठीक विपरीत, कई अन्य विषयों में अनुपात अपेक्षित मानक के बहुत करीब देखे गए:
- दर्शनशास्त्र (Philosophy): 11 पदों के लिए 35 उम्मीदवारों को बुलाया गया, जो प्रति सीट 3.18 का अनुपात था ।
- मनोविज्ञान (Psychology): 10 पदों के लिए 33 उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया गया, जो प्रति सीट 3.3 का अनुपात था ।
- संगीत वाद्ययंत्र (Music Instrument): 4 पदों के लिए 12 उम्मीदवारों को बुलाया गया, जो ठीक 3 का अनुपात था ।
- सिंधी (Sindhi): 3 पदों के लिए 6 उम्मीदवारों को बुलाया गया, जो 2 का अनुपात था ।
यह डेटा एक समान नीति के पूर्ण अभाव को दर्शाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि आयोग “मनमर्जी के अनुसार” विषय-दर-विषय के आधार पर काम कर रहा है, जैसा कि स्रोत दस्तावेज़ में उल्लेख किया गया है । एक स्पष्ट, न्यायसंगत ढांचे के बिना ऐसी विवेकाधीन शक्ति संदेह को जन्म देती है और पूरी चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता को समाप्त करती है । यह एक असमान अवसर पैदा करता है, जहां एक उम्मीदवार की सफलता की संभावना केवल उसकी योग्यता से नहीं, बल्कि उसके विषय के लिए निर्धारित मनमाने अनुपात से भी प्रभावित होती है।
अवसर का भ्रम: अवास्तविक कट-ऑफ मार्जिन
समस्या तब और जटिल हो जाती है जब कोई साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने वाले कट-ऑफ अंकों और अंतिम चयन कट-ऑफ के बीच की विशाल खाई की जांच करता है। विश्लेषण एक गहरी चिंताजनक प्रवृत्ति को उजागर करता है: RPSC बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवारों को बुला रहा है, जिनका विशुद्ध रूप से गणितीय दृष्टिकोण से, अंतिम सूची में स्थान पाने का कोई यथार्थवादी अवसर नहीं है, भले ही वे साक्षात्कार में कितना भी अच्छा प्रदर्शन करें।
सहायक आचार्य पद के लिए साक्षात्कार 24 अंकों का होता है । एक यदि किसी विद्यार्थी को साक्षात्कार में 24 अंक भी दिए जाये तो भी विद्यार्थी का मुख्य सूची में चयन होना असंभव है | कई विषयों में, साक्षात्कार के लिए कट-ऑफ और अंतिम मेरिट सूची के कट-ऑफ के बीच का अंतर साक्षात्कार में अधिकतम संभव स्कोर से कहीं अधिक है।
इसका सबसे गंभीर उदाहरण फिर से गणित है। साक्षात्कार के लिए कट-ऑफ 56.42 अंक था, लेकिन अंतिम चयन कट-ऑफ 152.17 तक पहुंच गया । यह
95.58 अंकों का एक चौंका देने वाला मार्जिन बनाता है । यदि कोई उम्मीदवार जिसने लिखित परीक्षा में ठीक 56.42 अंक प्राप्त किए हों, और उसे साक्षात्कार में पूरे 24 अंक भी दे दिए जाएं, तो भी उसका कुल योग केवल 80.42 होगा – जो कि 152.17 के अंतिम कट-ऑफ के आसपास भी नहीं है । ऐसे उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाना केवल एक प्रक्रियात्मक औपचारिकता नहीं है; यह एक क्रूर और भ्रामक इशारा है जो उन्हें झूठी उम्मीद देता है और उनके बहुमूल्य समय और संसाधनों को बर्बाद करता है ।
यह पैटर्न कई विषयों में दोहराया जाता है:
- भौतिकी (Physics) में, साक्षात्कार कट-ऑफ 66.35 था, जबकि अंतिम कट-ऑफ 131.72 था, जो 65.37 अंकों का मार्जिन है ।
- विधि (Law) में, साक्षात्कार कट-ऑफ 96.63 था, और अंतिम कट-ऑफ 158.35 था, जो 61.72 अंकों का मार्जिन है ।
- राजनीति विज्ञान (Political Science) में, साक्षात्कार कट-ऑफ 81.43 था, और अंतिम कट-ऑफ 133.20 था, जिससे 51.77 अंकों का अंतर रह गया ।
- हिंदी (Hindi) में, यह अंतर 44.33 अंक था (117.79 साक्षात्कार कट-ऑफ बनाम 162.12 अंतिम) ।
- उर्दू (Urdu) में, यह अंतर 42.02 अंक था (126.32 साक्षात्कार कट-ऑफ बनाम 168.34 अंतिम) ।
- यहां तक कि छोटे मार्जिन वाले विषयों में भी, अंतर अक्सर साक्षात्कार में उपलब्ध 24 अंकों से अधिक था। उदाहरण के लिए,
दर्शनशास्त्र (Philosophy) में, मार्जिन 36.05 अंक था , और
मनोविज्ञान (Psychology) में, यह 33.55 अंक था ।
यह त्रुटिपूर्ण पद्धति साक्षात्कारकर्ताओं की संख्या बढ़ाने के अलावा किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती है, जिससे भर्ती प्रक्रिया में अनावश्यक रूप से देरी और संदेह को पैदा करती है । यहाँ एक मौलिक प्रश्न उठाता है कि उन उम्मीदवारों का साक्षात्कार करने का क्या औचित्य है जिसके चयनित होने की कोई गणितीय संभावना ही नहीं है? यह अभ्यास अनुचित है और खराब योजना तथा उम्मीदवारों के कल्याण के प्रति उपेक्षा को दर्शाता है ।
प्रक्रियात्मक देरी और उसकी मानवीय कीमत
इन बढ़ी हुई साक्षात्कार सूचियों और असंगत प्रक्रियाओं का सीधा परिणाम विद्यार्थियों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है । कुछ विषयों के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं और उम्मीदवारों को उनकी पोस्टिंग मिल गई है, वहीं अन्य विषयों में बड़ी संख्या में उम्मीदवार अभी भी अनिश्चितता की स्थिति में हैं, और अपने साक्षात्कार की तारीखों की घोषणा का भी इंतजार कर रहे हैं ।
विश्लेषण के अनुसार,
14 विषयों में 1567 पदों के लिए 9,799 छात्रों के साक्षात्कार अभी भी लंबित हैं । यह खंडित प्रक्रिया एक वरिष्ठता संकट पैदा करती है। जिन विषयों के परिणाम पहले घोषित हो गए हैं, उन उम्मीदवार को राजकीय सेवा में वरिष्ठता प्राप्त करेंगे, जबकि अन्य विषयों के समान रूप से मेधावी उम्मीदवार बिना किसी गलती के पीछे छूट जाएंगे । इस देरी का उनके करियर की प्रगति और वित्तीय स्थिरता पर सीधा और हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा, दिसंबर 2025 में नई सहायक आचार्य भर्ती होनी है , RPSC की सुस्ती विद्यार्थियों के लिए परेशान करने वाली स्थिति पैदा करती है । वर्तमान में लंबित भर्ती में सफल होने की संभावना रखने वाले कई उम्मीदवारों को केवल इसलिए एक और कठिन परीक्षा चक्र से गुजरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा क्योंकि RPSC पिछली भर्ती को समय पर पूरा करने में विफल रहा । यह प्रशासनिक जिम्मेदारी की स्पष्ट विफलता है और उन छात्रों के करियर और मानसिक कल्याण के साथ खिलवाड़ करने के बराबर है जिन्होंने तैयारी में वर्षों का निवेश किया है ।
गोपनीयता का पर्दा: पारदर्शिता का अभाव
इन सभी मुद्दों के मूल में RPSC के भीतर की अपारदर्शी संस्कृति है। एक निष्पक्ष सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया का एक प्रमुख सिद्धांत पारदर्शिता है, जिसमें अंकों का समय पर खुलासा शामिल है। हालांकि, RPSC चयनित उम्मीदवारों के अंकों को अंतिम परिणाम घोषित होने के बाद भी लंबे समय तक, कभी-कभी एक साल से अधिक समय तक, सार्वजनिक डोमेन से रोके रखने की प्रथा अपनाता है । पारदर्शिता की यह कमी संदेह को जन्म देती है और उम्मीदवारों तथा जनता के लिए परिणामों की प्रभावी ढंग से जांच करना असंभव बना देती है। यह प्रथा सुशासन और जवाबदेही के सिद्धांतों के सीधे विरोध में है, जो आयोग की पहले से ही धूमिल प्रतिष्ठा को और नुकसान पहुंचाती है ।
समस्याओं का एक पैटर्न: सहायक आचार्य परीक्षा से परे
2023 की सहायक आचार्य भर्ती में देखी गई अनियमितताएं कोई अकेली घटना नहीं हैं, बल्कि ये आयोग के भीतर गहरे, प्रणालीगत सड़न के लक्षण हैं। हाल के वर्षों में, RPSC बार-बार पेपर लीक, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन से संबंधित विवादों में उलझा रहा है, जिसके कारण न्यायिक हस्तक्षेप और सार्वजनिक आक्रोश हुआ है।
उदाहरण के लिए, राजस्थान उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक बड़े पेपर लीक घोटाले के कारण 2021 की सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया, जिसमें आयोग के अपने सदस्यों से जुड़े “प्रणालीगत भ्रष्टाचार” की ओर इशारा किया गया था। ऐसी घटनाएं संस्थागत विफलता के एक परेशान करने वाले पैटर्न को उजागर करती हैं जो किसी एक परीक्षा तक सीमित नहीं है। विभिन्न RPSC द्वारा आयोजित परीक्षाओं में भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों द्वारा चल रही जांच ने केवल इस सार्वजनिक धारणा को मजबूत किया है कि आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षाएं आयोजित करने के अपने प्राथमिक जनादेश में विफल हो रहा है। बार-बार होने वाले घोटालों का यह व्यापक संदर्भ सहायक आचार्य भर्ती में विसंगतियों को केवल प्रशासनिक त्रुटियों के रूप में नहीं, बल्कि अखंडता के एक बड़े संकट के हिस्से के रूप में प्रस्तुत करता है।
निष्कर्ष: तत्काल और प्रणालीगत सुधार का आह्वान
सभी सबूत भारी रूप से यह संकेत देते हैं कि राजस्थान लोक सेवा आयोग निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर भर्ती आयोजित करने के अपने कर्तव्य में विफल हो रहा है। सहायक आचार्य भर्ती प्रक्रिया में मनमाने साक्षात्कार अनुपात, गणितीय रूप से असंभव कट-ऑफ मार्जिन, पंगु कर देने वाली देरी और पारदर्शिता की कमी मामूली प्रशासनिक चूक नहीं हैं; ये हजारों उम्मीदवारों के खिलाफ किए जा रहे गंभीर अन्याय हैं।
चयन की कोई उम्मीद न रखने वाले अत्यधिक संख्या में उम्मीदवारों को बुलाकर, RPSC सार्वजनिक संसाधनों को बर्बाद कर रहा है और, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि युवाओं को अत्यधिक मानसिक और भावनात्मक पीड़ा दे रहा है । वर्तमान स्थिति केवल टुकड़ों में सुधार से कहीं अधिक की मांग करती है। यह RPSC की परीक्षा और चयन प्रक्रियाओं के व्यापक सुधार का आह्वान करती है।
साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने वाले उम्मीदवारों की संख्या निर्धारित करने के लिए एक स्पष्ट, एक समान और कानूनी रूप से सुदृढ़ नीति स्थापित की जानी चाहिए। प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए, जिसमें सभी अंकों और चयन मानदंडों का समय पर खुलासा हो। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन देरी और अनियमितताओं के लिए जवाबदेही तय की जानी चाहिए जो आयोग के कामकाज की पहचान बन गई हैं। अनगिनत छात्रों का भविष्य और राजस्थान में लोक सेवा भर्ती की विश्वसनीयता इसी पर निर्भर करती है।

Name of Subject | Seats | Date of Exam | Candidates called for interview | times | Date of Result for interview call | Date of Final Result | Margin Between interview and final cut off |
Botany | 70 | 20/05/2024 | 398 | 5.68 | 04/03/2025 | No interview | |
Chemistry | 81 | 22/05/2024 | 415 | 5.12 | 27/01/2025 | No interview | |
Maths | 53 | 23/05/2024 | 653 | 12.32 | 24/03/2025 | 17/09/2025 | 95.58 |
Physics | 60 | 19/05/2024 | 604 | 10.06 | 23/01/2025 | 07/07/2025 | 65.37 |
Zoology | 64 | 21/05/2024 | 367 | 5.64 | 25/03/2025 | No interview | |
A.B.S.T | 86 | 20/05/2025 | 515 | 5.98 | 10/02/2025 | No interview | |
Business Administration | 71 | 28/05/2024 | 329 | 4.63 | 06/03/2025 | No interview | |
E.A.F.M | 70 | 23/05/2024 | 561 | 8.01 | 10/03/2025 | No interview | |
Geology | 06 | 31/03/2024 | 18 | 3 | 11/07/2024 | 11/09/2024 | 20 |
Law | 25 | 31/03/2024 | 103 | 4.12 | 22/07/2024 | 30/09/2024 | 61.72 |
Economics | 103 | 29/05/2024 | 524 | 5.08 | 14/02/2025 | No interview | |
English | 153 | 21/05/2024 | 581 | 3.79 | 18/11/2024 | 20/01/2025 | 40.47 |
Geography | 150 | 18/05/2024 | 1217 | 8.11 | 27/03/2025 | No interview | |
Hindi | 214 | 17/03/2024 | 1612 | 7.53 | 08/08/2024 | 16/12/2024 | 44.33 |
History | 177 | 17/05/2024 | 1911 | 10.79 | 19/03/2025 | No interview | |
Sociology | 80 | 30/05/2024 | 296 | 3.7 | 19/02/2025 | No interview | |
Philosophy | 11 | 02/06/2024 | 35 | 3.18 | 18/12/2024 | 30/05/2025 | 36.05 |
Political Science | 181 | 16/05/2024 | 1501 | 8.29 | 09/12/2024 | 02/05/2025 | 51.77 |
Public Administration | 45 | 19/05/2024 | 180 | 4 | 06/02/2025 | No interview | |
Sanskrit | 76 | 19/05/2024 | 309 | 4.06 | 28/01/2025 | No interview | |
Urdu | 24 | 22/05/2024 | 123 | 5.12 | 25/11/2024 | 12/02/2025 | 42.02 |
Punjabi | 01 | 31/03/2024 | 03 | 3 | 11/07/2024 | 30/08/2024 | |
Library Science | 01 | 31/03/2024 | 03 | 3 | 12/07/2024 | 04/03/2025 | |
Psychology | 10 | 01/06/2024 | 33 | 3.3 | 01/10/2024 | 21/02/2025 | 33.35 |
Rajasthani | 06 | 22/05/2024 | 31 | 5.16 | 18/12/2024 | No interview | |
Sindhi | 03 | 31/03/2024 | 06 | 2 | 03/07/2024 | 28/08/2024 | 21.03 |
Jainology | 01 | 31/03/2024 | 03 | 3 | 24/07/2024 | No interview | |
Garment Production & Export Management | 01 | 31/03/2024 | 03 | 3 | 29/07/2024 | No interview | |
Military Science | 01 | 31/03/2024 | 03 | 3 | 27/06/2024 | 01/10/2024 | 17 |
Art History | 02 | 01/06/2024 | 06 | 3 | 23/08/2024 | 21/02/2025 | 23.83 |
Museology | 02 | 31/03/2024 | 06 | 3 | 24/07/2024 | 29/08/2024 | 32.23 |
Drawing & Painting | 35 | 20/05/2025 | 175 | 5 | 27/11/2024 | 20/05/2025 | 48.5 |
Music (Vocal) | 12 | 22/05/2024 | 54 | 4.5 | 12/08/2024 | No interview | |
Music (Instrument) | 04 | 31/03/2024 | 12 | 3 | 03/07/2024 | 29/08/2024 | 46.81 |
Applied Art | 05 | 23/05/2024 | 19 | 3.8 | 13/08/2024 | 20/09/2024 | 49.46 |
Paintings | 05 | 31/03/2024 | 27 | 5.4 | 17/10/2024 | 31/01/2025 | 31.96 |
Sculpture | 04 | 17/03/2024 | 12 | 3 | 17/10/2024 | 07.05.2025 | 32.13 |
Music Tabla | 02 | 31/03/2024 | 09 | 4.5 | 03/07/2024 | 30/08/2024 | 30.46 |
Music (Violin) | 02 | 31/03/2024 | 06 | 3 | 27/06/2024 | 30/08/2024 | 33.47 |
Agriculture (Entomology) | 01 | ||||||
Agriculture (Animal Husbandary & Dairy Science) | 02 | ||||||
Agriculture (Agronomy) | 03 | ||||||
Agriculture (Economics) | 01 | ||||||
Agriculture (Engineering) | 01 | ||||||
Agriculture (Horticulture) | 03 | ||||||
Agriculture (Live Stock) | 01 | ||||||
Agriculture (Plant Pathology) | 02 | ||||||
Agriculture (Soil Science) | 02 |
RAS 2021 Adv date 20/07/2021
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